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Aug

किसान स्वराज सम्मेलन 2018: पंजीकरण के लिए आमंत्रण!

आशा-किसान स्वराज नेटवर्क और गुजरात विद्यापिथ द्वारा आयोजित किसान स्वराज सम्मेलन 2018 के लिए पंजीकरण समय खिड़की 10 अक्टूबर 2018 तक बढ़ा दी गई है। हम 2-कदम ऑनलाइन दान और पंजीकरण स्थापित करने की प्रणाली जिसमें आप पहले प्रतिभागी लागत के लिए दान करके, इसके बाद अन्य विवरणों के साथ पंजीकरण की आवश्यकता होगी। इला बेन भट्ट, आशीष कोठारी, योगेंद्र यादव, पोपटराव पवार समेत प्रसिद्ध व्यक्तियों ने सम्मेलन मे उपस्थिति की पुष्टि की है । आपको सुभाष शर्मा, सुरेश देसाई, दीपक सुकडे जैसे अनुभवी और अग्रणी जैविक किसानों से सीखने का मौका मिलेगा। भारत की समृद्ध जैव विविधता कृषि-विविधता और अनगिनत वन खाद्य पदार्थों के 70-75 स्टालों के माध्यम से प्रदर्शित होगी। कई प्रासंगिक विषयों पर समानांतर सत्र चलेंगे – जैसे सतत खेती, जीएमओ, बीज विविधता, मुक्त व्यापार समझौते, अन्य आर्थिक मुद्दे, पानी और कृषि, आदिवासी किसान, महिला किसान, बटाईदार किसान इत्यादि – इसके लिए विशेषज्ञ उपस्थित होंगे। यदि आपने अभी तक पंजीकृत नहीं किया है और चाहते हैं, तो इस लिंक के माध्यम से रजिस्ट्रेशन शुरू कर सकते हैं : https://letzchange.org/campaigns/kisan-swaraj-sammelan-2018-asha
आप संलग्न फॉर्म का उपयोग करके भी पंजीकरण कर सकते हैं, जिसे भरना है और डाक / कूरियर द्वारा “जतन, विनोबा आश्रम, गोत्री, वडोदरा: 390021 (गुजरात)” में भेजना है।
ps: हमने अनुरोध किया था कि महिला किसान 500 रुपये, पुरुष किसान और छात्र Rs 800/-, एनजीओ और अन्य प्रतिनिधि Rs 1500/- और शहरी वेतनभोगी नागरिक रु 2500/- प्रति व्यक्ति दान करें ताकि आवास, जैविक भोजन इत्यादि खर्च आंशिक रूप से प्रतिपूर्त हो। हालांकि, अब सेट की गई ऑनलाइन भुगतान प्रणाली केवल 3 स्लैब दान की अनुमति देती है। इसलिए, यदि आप पुरुष किसान या छात्र हैं, तो उस श्रेणी का चयन करें जो आपके लिए सुविधाजनक है।

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खाद्य संप्रभुता और किसान सशक्तिकरण

किसान स्वराज सम्मेलन 2018

किसानों और कृषक समुदाय के शुभचिंतकों का संगम

2 से 4 नवंबर 2018 :: अहमदाबाद

आयोजक:-

आशा– किसान स्वराज गठबंधन एवं गुजरात विद्यापीठ

मेज़बान: जतन

गांधी के 150 वर्ष और गुजरात विद्यापीठ के 100 साल के अवसर प

पंजीकरण के लिए आमंत्रण!

सतत और समग्र कृषि के लिए गठबंधन (आशा-अलाइन्स फॉर स्सटेनेबल एंड होलिस्टिक ग्रीकल्चर) या आशाकिसान स्वराज गठबंधन एक राष्ट्र स्तरीय मंच है जिस की स्थापना 2010 में 71 दिन की किसान स्वराज यात्रा के माध्यम से हुई  थी। भोजन, किसान और स्वायत्ता पर केन्द्रित यह यात्रा 2010 में गांधी जयंती के दिन गुजरात विद्यापीठ से शुरू हुई। ‘आशा’-किसान स्वराज की ताकत, इस में शामिल ग्रामीण आँचल में टिकाऊ एवं व्यवहार्य (लाभकारी) कृषि आजीविका के प्रति समर्पित किसान संगठन, उपभोक्ता समूह, महिला संगठन, पर्यावरण संगठन, नागरिक एवं विशेषज्ञ हैं।  हम चार पायों पर टिकी किसान स्वराज नीति, जो भारत की भविष्योनुमुख कृषि दृष्टि और नीति के लिए एक रूपरेखा प्रस्तुत करती है, के प्रति प्रतिबद्ध हैं और सरकारों द्वारा उसे अपनाये जाने के लिए प्रयास रत हैं।

सुदूर हाशिये के किसान समूहों पर ध्यान केन्द्रित करते हुये (भारत की राष्ट्रीय किसान नीति के अनुरूप आशा की किसान की अवधारणा व्यापक है) किसान स्वराज नीति  के चार पाये इस प्रकार हैं:

1. सभी कृषक परिवारों के लिए आय सुरक्षा ताकि गरिमा पूर्वक जीवन जीने लायक एक न्यूनतम आय सुनिश्चित हो।
2. कृषि में पर्यावरण सुरक्षा ताकि सतत कृषि के लिए संसाधनों का संरक्षण एवं टिकाऊ उपयोग सुनिश्चित किया जाए।
3. ज़मीन, पानी, जंगल और बीज जैसे उत्पादक/आजीविका-संसाधनों पर कृषक समुदायों का अधिकार, एवं
4. सभी भारतीयों की सुरक्षित, स्वास्थ्यवर्धक, पोष्टिक और पर्याप्त भोजन तक पहुँच।

आठ साल की ‘‘आशा’’ इस रूप में विलक्षण है कि यह भारतीय कृषि को समग्रता से देखती है – आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दे खेती और किसानी के प्रति हमारे नज़रिये में परस्पर गुथें हुये हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि यह एक ऐसा मंच है जिस ने शहरी उपभोक्ताओं को भी, कम से कम भोजन-सुरक्षा के नज़रिये से, खेती-किसानी से जोड़ा है। आशा इस रूप में भी विलक्षण है कि इस में विभिन्न तरह की विचारधारा, क्षमता और विशेषज्ञता के लोग एक मंच पर इकट्ठे हुये हैं।

पिछले वर्षों में आशा के कई महत्वपूर्ण सदस्यों ने सलाहकार और विशेषज्ञ के रूप में केंद्रीय और राज्य सरकारों के साथ काम किया है। गठबंधन राज्य/राष्ट्र स्तर पर नीति निर्माण प्रक्रिया में शामिल रहा है।  आशा के सहयोगियों ने पैरोकारी के इस काम के साथ-साथ, खेती और खाद्य व्यवस्था के क्षेत्र में ज़मीनी स्तर पर समता मूलक और टिकाऊ विकल्प खड़े करने का ठोस काम भी किया है। देश के अन्य गठबंधन और संगठन आशा को अनुभव एवं जानकारी के विश्वसनीय स्रोत के रूप में देखते हैं जहाँ से वे अपने कार्यक्षेत्र के लिए सहायक सामग्री प्राप्त कर सकते हैं।

गुजरात विद्यापीठ की स्थापना महात्मा गांधी ने 1920 में की थी (वे जीवनपर्यंत इस के कुलपति रहे) और 1963 से इसे विश्वविद्यालय के समकक्ष (डीम्ड) दर्जा दिया गया है। विद्यापीठ वो स्थान है जहाँ गांधी आज भी जिंदा है। विद्यापीठ का उद्देश्य चरित्र, क्षमता, कुशलता, संस्कृति और समर्पण युक्त ऐसे कार्यकर्ता तैयार करना है जो महात्मा गांधी के आदर्शों के अनुरूप देश के पुनरुथान के लिए आंदोलन में भाग ले सकें। विद्यापीठ गांधीवादी मूल्यों जैसे सत्य, अहिंसा, श्रम के प्रति सम्मान सहित उत्पादक श्रम में भागेदारी, सभी धर्मों के प्रति समभाव, सभी पाठ्यक्रमों में ग्रामीण भारत की जरूरतों को प्राथमिकता एवं मात्रभाषा में शिक्षा पर कायम है। गुजरात विद्यापीठ अपने संसाधन और ऊर्जा को ग्रामीण क्षेत्र में राष्ट्रीय शिक्षा के फैलाव पर केन्द्रित करती है क्योंकि इस का विश्वास है कि देश का विकास शहरों पर नहीं गांवों पर निर्भर है। गुजरात विद्यापीठ शीघ्र ही अपने जीवन के 100 वर्ष पूरे करने जा रही है।      

जतन तीन दशकों से अधिक समय से आशा सरीखे नज़रिये से गुजरात में सजीव खेती के प्रसार में लगा है। टिकाऊ खेती के क्षेत्र में यह एक अत्यंत विश्वसनीय आवाज़ है। जतन ने राज्य की जैविक नीति निर्माण में गुजरात सरकार का सहयोग किया है।


वर्ष 2018 महात्मा गांधी के जन्म का 150वां वर्ष भी है। भिन्न भिन्न तरीकों से देश भर में इस वर्ष को बा-बापू गांधी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। आशा-किसान स्वराज और गुजरात विद्यापीठ इस को किसान स्वराज सम्मेलन 2018 में विभिन्न रूपों में शामिल करेंगे।


किसान स्वराज सम्मेलन के बारे में

आशा समय समय पर किसान स्वराज सम्मेलन आयोजित करती रही है। ये सम्मेलन एक अवसर होते हैं हमारे सामने उपस्थित चुनौतियों की अपनी समझ को पुख्ता करने का और अपने परस्पर सम्बन्धों के नवीनीकरण का ताकि अलग अलग मोर्चों पर काम करते हुये भी हमारे काम और सोच में एकरूपता हो। ये संगम नए लोगों, विचारों, समझ, ऊर्जा और योजनाओं को ले कर आते हैं ताकि हम सामूहिक रूप से देश में कृषि आजीविका को मज़बूती दे सकें। 2011 में किसान स्वराज यात्रा के समापन के तुरंत बाद के प्रारम्भिक नागपुर सम्मेलन के बाद, किसान स्वराज सम्मेलन भोपाल (2013) और हैदराबाद (2016) में आयोजित किए गए।

आगामी चौथा किसान स्वराज सम्मेलन (अहमदाबाद, 2-4 नवंबर, 2018) ऐसे समय में आयोजित हो रहा है जब कई कारणों से भारत में कृषि संकट कुछ हद तक सार्वजनिक विमर्श का हिस्सा बन चुका है। इस का एक कारण यह है कि देश भर में किसान संगठन कम से कम एक मुद्दे पर- आर्थिक मुद्दे पर- आंदोलनरत हैं। जलवायु परिवर्तन से किसानों का अब सीधे सीधे वास्ता पड़ रहा है। इस लिए खेती की पर्यावरणीय चुनौतियाँ अब पहले से अधिक स्पष्ट हैं।  खेती में महिलाओं की बढ़ती भागेदारी और पट्टे पर खेती का फैलाव अब किसानी के इन कमज़ोर तबकों के लिए हमारे सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। बेहद ताकतवर शक्तियाँ प्रयासरत हैं कि छोटे किसानों से ज़मीन, बीज और सरकारी सहायता छीन कर कंपनियों के नेतृत्व में रसायनिक और मशीनीकृत खेती का मार्ग प्रशस्त किया जाये। कृषि-व्यवसाय की विशालकाय कंपनियाँ, विलय और अधिग्रहण के माध्यम से, अपने एकाधिकार को और बढ़ा कर किसानों के विकल्पों को और अधिक सिकोड़ रही हैं। मुक्त व्यापार, हमारे कृषि क्षेत्र को दुनिया भर की अनुदान आधारित खेती से मुक़ाबला करने को विवश कर के, और भी कमज़ोर कर रहा है। हमारा भोजन तंत्र कई तरह से प्रभावित हुआ है जिस के चलते कई चिरकालिक स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा हो गई है।  

इन चुनौतियों के साथ ही विभिन्न किसान आंदोलनों का किसान-विरोधी नीतियों, हरित क्रांति आधारित खेती और खेती के कंपनिकरण के विरोध एवं पर्यावरण अनुकूल टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने का संकल्प और आपसी तालमेल बढ़ा है। सरकारों पर किसानों की आत्महत्या और कृषि के सामाजिक, पर्यावरणीय एवं आर्थिक संकट से निपटने का दबाव बढ़ा है। आशा सहयोगियों एवं अन्य के प्रयासों से कई राज्यों में जैविक नीतियाँ और कार्यक्रम बनाए गए हैं। मेज़बान राज्य, गुजरात ने 2015 में जैविक कृषि नीति की घोषणा की और देश में पहली बार एक जैविक कृषि विश्वविद्यालय बनाने का निर्णय लिया है। सामूहिक प्रयासों से खतरनाक और कंपनीयों द्वारा नियंत्रित तकनीकों जैसे कृषि-रसायन एवं संशोधित जीन उत्पाद (जीएमओ) को पीछे धकेलने में सफलता मिली है। उदाहरण के लिए गुजरात सरकार ने संशोधित जीन उत्पादों के खुले क्षेत्र परीक्षण न करने का नीतिगत निर्णय लिया है। नीति विमर्श में महिला किसानों के अधिकारों के प्रति ज़्यादा संवेदनशीलता देखी जा सकती है। बड़े पैमाने पर पट्टे की खेती नीतिगत विमर्श का हिस्सा बन चुकी है और आशा इसे सही दिशा दे कर पट्टे पर खेती करने वाले किसानों के कानूनी अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए प्रयासरत है।

 

आदिवासी खेती और आदिवासियों की जंगल आधारित आजीविका की सामूहिकता और टिकाऊपन की अब व्यापक स्वीकार्यता है। देश के खाद्य सुरक्षा विमर्श में वन से एकत्रित खाद्य पदार्थों की कई समुदायों में कुपोषण से निपटने में भूमिका को रेखांकित किया जा रहा है। एक ओर जहां भूमि क़ानूनों के शिथिलीकरण के खिलाफ लड़ाई जारी है, वहीं कई स्थानीय समुदाय भूमि की लूट को रोकने में सफल हुए हैं। मुक्त व्यापार के विरुद्ध संघर्ष ने गति पकड़ी है। किसान आंदोलन लाभकारी मूल्य और न्यूनतम आय की अपनी मांग को राष्ट्रीय विमर्श में शामिल कराने में सफल हुआ है और कुछ हद तक कृषि उत्पादों की कीमतों को बढ़वाने में सफलता मिली है। उपभोक्ताओं ने टिकाऊ, वैविध्यपूर्ण, पोषक और सुरक्षित भोजन व्यवस्था के महत्व को समझा है और वे उन किसानों का समर्थन करने को तैयार हैं जो उन्हें ऐसा भोजन उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत हैं।

 

ऐसे महत्वपूर्ण पड़ाव पर आशा का यह चौथा किसान स्वराज सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। आशा की समावेशी और वैविध्यपूर्ण कार्यप्रणाली के अनुरूप यह न केवल ‘आशा’-किसान गठबंधन का राष्ट्रीय सम्मेलन होगा जहां एक दूसरे से सीखना-सिखाना होगा, संवाद और सामूहिक योजनाएँ बनेंगी वहीं यह दूसरे संगठनों, गठबंधनों, और जन आंदोलनों से संपर्क करने का, एकजुटता प्रदर्शित करने का और उन के अनुभव और विशेषज्ञता से सीखने का अवसर भी होगा।  हमें आशा है कि यह सम्मेलन सब के काम को मजबूती देगा। सम्मेलन में विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों के बीच परस्पर सम्बन्ध स्थापित करने का भी पर्याप्त अवसर होगा ताकि भविष्य में मिल कर काम किया जा सके।

 

सम्मेलन के उद्देश्य

 

  1. विशेषज्ञों से विचार विमर्श के माध्यम से किसानों से सम्बन्धित नवीनतम नीतिगत घटनाक्रम पर सूचना, ज्ञान और नज़रिये का आदान प्रदान; इसी तरह प्रायौगिक प्रदर्शन और विशेषज्ञ किसानों द्वारा प्रशिक्षण से जैविक खेती के विभिन्न तरीकों, आदानों और औजारों के ज्ञान और कौशल का आदान-प्रदान।
  2. प्रतिभागियों के बीच संवाद के माध्यम से सम्बन्धों का नवीनीकरण, एक दूसरे से ऊर्जा प्राप्त करना और वर्तमान कार्य के बारे में सूचनाओं का आदान प्रदान।
  3. आशा में शामिल समविचारी गठबंधनों और अभियानों के बीच एकजुटता  विकसित करना।
  4. एकदूसरे के अनुभवों, संघर्षों और रणनीति से सीखना; और जहां संभव हो भविष्य की योजना बनाना।
  5. सम्मेलन के दौरान बीज उत्सव, भोजन उत्सव, प्रदर्शनी, सार्वजनिक व्याख्यान, विशेषज्ञों के बीच परस्पर चर्चा के माध्यम से जन जागरण।

 

विषय-वस्तु

 

सम्मेलन निम्नलिखित पर केन्द्रित होगा: जैविक कृषि, मुक्त व्यापार और कृषि आजीविका, महिला किसानों के अधिकार, भोजन सुरक्षा और खतरनाक कृषि-तकनीकी जैसे कीटनाशी, कृत्रिम उर्वरक और संशोधित जीन उत्पाद (जीएमओ), बीज स्वावलंबन और विविधता, भूमी अधिकार, आर्थिक नीतियों के भारतीय कृषि पर प्रभाव, आदिवासी कृषि, जलवायु परिवर्तन, उपभोक्ता सहयोग और सशक्तिकरण इत्यादि। विभिन्न सत्र मूलतय इस पर केन्द्रित होंगे कि वैकल्पिक नीति और कार्य योजना क्या हो, इन पर वर्तमान में जारी काम और भविष्य के लिए पैरोकारी की योजना।  

 

स्वरूप

 

      सम्मेलन में सामूहिक और समांतर सत्र दोनों होंगे। इस के अलावा जैव विविधता उत्सव,  भोजन-उत्सव, प्रदर्शनी, प्रायौगिक प्रदर्शन, सार्वजनिक व्याख्यान और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। समांतर सत्र सम्मेलन का मुख्य भाग होगा ताकि विमर्श में व्यापक भागेदारी और संवाद हो। खुली चर्चा और विचार विमर्श भी आयोजित करने का प्रयास किया जायेगा। स्रोत व्यक्ति विभिन्न समविचारी संगठनों और मंचों से आमंत्रित किए जाएँगे।

 

भागेदारी के लिए पंजीकरण

     

संलग्न फार्म को भर कर जतन, विनोबा आश्रम, गोतरी, वडोदरा 390021 को 25 सितंबर 2018 तक भेज दें। प्रस्तावित चंदे का चेक या डिमांड ड्राफ्ट जतन के नाम से वडोदरा, गुजरात में देय हो।

      आमंत्रित चंदा: हम इस आयोजन को आत्म निर्भर बनाना चाहते हैं। ‘आशा’ सरकारी, विदेशी, परियोजना अनुदान, बड़ी कंपनियों से चंदा या प्रायोजन स्वीकार नहीं करती। इस लिए सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि दिल खोल कर चंदा दें। हर आवेदन के साथ चंदे का विवरण भी अवश्य दें।  

श्रेणी

25 सितंबर से पहले पंजीकरण की स्थिति में अपेक्षित चंदा*

25 सितंबर से 20 अक्तूबर के बीच पंजीकरण कराने पर अपेक्षित चंदा*

नौकरी पेशा शहरी, शिक्षाविद और शोधकर्ता, सरकारी कर्मचारी

2500

3500

शहर में रहने वाले किसान, संचार माध्यमों, वितपोषित गैर-सरकारी संगठनों और किसान संगठनों के प्रतिनिधि

1500

2000

ग्रामीण किसान या वो किसान जिन का खेती के अलावा और कोई आय का साधन नहीं है, छात्र

800

1200

महिला किसान

500

700

* हम चंदे का इस लिए अनुरोध कर रहे हैं क्योंकि आयोजकों द्वारा किए जाने वाले खर्चे में सभी प्रतिभागियों के लिए जैविक भोजन, आवास, प्रदर्शनी, जैव-विविधता उत्सव, भोजन उत्सव, सामूहिक सत्र इत्यादि के लिए टेंट, माइक, और स्रोत व्यक्तियों के लिए आने जाने का खर्च शामिल है। कुल खर्च निश्चित तौर पर प्रतिभागियों से मिलने वाले चंदे से ज़्यादा होगा।

 

कृपया ध्यान देवें:

  1. गुजरात में रहने वाले सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि वो आवास के लिए अपने स्तर पर व्यवस्था करें ताकि दूसरे राज्यों से आने वाले प्रतिभिगियों को स्थान दिया जा सके (विशेष परिस्थितियों में गुजरात के प्रतिभागियों को भी आवास सुविधा उपलब्ध कराने पर विचार किया जा सकता है)।
  2. आवास की व्यवस्था सामूहिक और बुनियादी होगी। शौचालय कमरों से अलग होंगे। इस से बेहतर व्यवस्था के लिए प्रतिभागी अपने स्तर पर आस पास के होटलों में इंतजाम करें। सम्मेलन स्थल शहर के केंद्र में है और आस पास कई होटल हैं। होटलों की सूची www.kisanswaraj.in पर उपलब्ध होगी।
  3. आयोजक 1 नवंबर से लेकर 4 नवंबर तक की आवास और भोजन की व्यवस्था करेंगे। क्योंकि सम्मेलन के तुरन्त बाद दीपावली अवकाश शुरू हो जाएँगे, इस लिए 5 नवंबर की सुबह तक आवास अवश्य खाली कर दें। अगर इस के बाद भी अहमदाबाद में रहना है तो कृपया अपने स्तर पर व्यवस्था करने का कष्ट करें।
  4. भाषा भागेदारी में एक अड़चन हो सकती है इस लिए आप से अनुरोध है कि सम्मेलन स्थल पर पहुँचते ही अपने राज्य के प्रतिभागियों के बीच से अनुवाद की व्यवस्था कर लें। जहां तक संभव होगा, कुछ चर्चाओं को राज्यानुसार करने का प्रयास रहेगा।
  5. भोजन: आयोजक अपेक्षा करते हैं कि कई राज्यों के किसान अपने रसोईघर चलाएँगे और सभी प्रतिभागी अदल बदल कर इन पंडालों से भोजन लेंगे (इस के लिए कोई भुगतान नहीं करना होगा। आशा है कि प्रतिभागी इस व्यवस्था में सहयोग देंगे और विभिन्न राज्यों के भोजन की भिन्नता का स्वाद लेंगे। इस प्रकार कई जैविक किसानों के उत्पादों का प्रयोग हो जाएगा और भोजन पर खर्च होने वाला पैसा,जैविक किसानों की जेब में जाएगा। 
  6. आयोजक 10 अक्तूबर से पहले प्रतिभागीयों के चयन एवं अन्य आवश्यक सूचनाओं का पत्र/सूची जारी करेंगे। यह पत्र ही सम्मेलन में आप की भागीदारी का आधार बनेगा। लेकिन प्रतिभागियों से अनुरोध है कि बिना अंतिम चयन का इंतज़ार किए, अपनी टिकट करा लें क्योंकि टिकट रद्दीकरण की लागत दीपावली के चलते अंतिम समय पर टिकट कराने से कहीं कम होगी।
  7. हर संभव प्रयास किया जाएगा कि पंजीकरण कराने वाले सभी लोगों को सम्मेलन में भाग लेने का मौका मिले। इस लिए शीघ्र पंजीकरण कराने का कष्ट करें। हम यह चाहते हैं कि पैसे की दिक्कत के चलते कोई सम्मेलन में भाग लेने से वंचित न रहे। अगर कोई किसान पंजीकरण शुल्क देने में असमर्थ है तो वो अपने खेत का कोई भी 10 किलो जैविक उत्पाद इस सम्मेलन में अपने अंशदान के रूप में ले कर आएं।

 

प्रदर्शनी के लिए पंजीकरण

      जैविक किसानों, किसान समूहों, पंजीकृत गैर-व्यवसायिक संगठनों, निजी उद्दमियों और सरकारी/अर्ध सरकारी संस्थानों के लिए प्रदर्शनी हेतु 50 पंडाल उपलब्ध हैं जिन में वो अपने जैविक उत्पाद बेच सकते हैं, सजीव खेती संबंधी कार्यक्रमों और योजनाओं की जानकारी दे सकते हैं, औज़ार और छोटी प्रसंस्करण इकाइयों को प्रदर्शित कर सकते हैं या टिकाऊ खेती सम्बन्धी प्रचार कर सकते हैं।  कृषि आदान के प्रदर्शन या बिक्री हेतू स्थान उपलब्ध नहीं है हालांकि छोटे किसान-उत्पादक संगठनों को इस की अनुमति दी जा सकती है।

 

प्रदर्शनी स्थल के लिए सुझाया चंदा

श्रेणी

25 सितंबर से पहले पंजीकरण की स्थिति में अपेक्षित चंदा*

25 सितंबर से 20 अक्तूबर के बीच पंजीकरण कराने पर अपेक्षित चंदा*

किसान हाट: अपने खेत के उत्पाद बेचने के लिए जैविक किसानों को जो गाँवों में रहते हैं और खेती के अलावा जिन का आय का कोई और स्रोत नहीं है

2000

3000

किसान समूह, किसान-उत्पादक संगठन (एफ़पीओ), किसानों की सहकारी समिति, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), छोटे बचत और कर्ज़ समूह को

4000

6000

12 ए के तहत पंजीकृत गैर-लाभकारी/ गैर-व्यवसायिक संगठन

7000

10000

निजी उद्यमी एवं सरकारी/अर्ध सरकारी संस्थानों

12000

18000

 

नोट:

आवेदक को www.kisanswaraj.in पर उपलब्ध फार्म में आवेदन करना है। दस्तावेज़ों की पड़ताल, ब्योरे, कीमत और बिक्री/प्रदर्शनी हेतू उत्पादों की प्रकृति की जांच के बाद एक तकनीकी कमेटी स्थान आवंटन के बारे में निर्णय लेगी। किसी भी समय, सम्मेलन के दौरान भी, आयोजक बिना कारण बताए किसी का भी प्रदर्शनी आवंटन रद्द कर सकते हैं। तकनीकी कमेटी को निर्णय लेने में सहायता के लिए आवेदक को उत्पादों के सैंपल जमा कराने होंगे।

  1. प्रति स्टाल 2 व्यक्ति सम्मेलन के लिए पंजीकरण करा सकेंगे।
  2. किसान हाट के लिए एक मेज़ उपलब्ध कराई जाएगी। बाकी स्टालों के लिए 50-70 फुट का स्थान होगा, मेजपोश सहित दो मेज़ और दो कुर्सी होंगी, एक बल्ब और 5 एमपीयर का एक प्लग पॉइंट होगा।
  3. आवास सुविधा केवल पहली दो श्रेणी के (गुजरात के बाहर से आने वाले) किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी
  4. प्रस्तावित चंदे का चेक या डिमांड ड्राफ्ट जतन के नाम से वडोदरा, गुजरात में देय हो। फार्म के साथ इसे जतन, विनोबा आश्रम, गोतरी, वडोदरा 390021 को भेज दें।

 

अधिक जानकारी के लिए asha.kisanswaraj@yahoo.in को लिखें। हिन्दी/अँग्रेजी में बात करने के लिए प्रो राजेन्द्र चौधरी 9416182061 या श्री अजय एटिकला 9971615133 से और गुजरती में बात करने के लिए जतन 0265-2371429 पर भी संपर्क कर सकते हैं।  

 

आप से अनुरोध है कि संलग्न फार्म भर कर सम्मेलन के लिए तुरंत पंजीकरण कराएं। सम्मेलन में भाग लेने के लिए पंजीकरण अनिवार्य है।

भागेदारी के लिए पंजीकरण फार्म : https://kisanswaraj.in/wp-content/uploads/Hindi-ASHA-KSS-2018-Participant-Registration-Form-Instructions-aug29-2018.pdf 

प्रदर्शनी के लिए पंजीकरण फार्म : https://kisanswaraj.in/wp-content/uploads/Hindi-ASHA-KSS-2018-exhibition-Registration-Form-Instructions-aug29th-2018.pdf

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